गीत
याद न
तब भूली जायेगी
रवि का रथ ओझल होने पर ,
सांझ
अनमनी सुधियाँ लेकर बैठी विकल चकोरी कोई ,
तारों
से मन बहलायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
मुस्काकर
दो पल आंगन में ,
मौन
दुपहरी के दामन् में ,
कोई
कलिका जब खिलने से -
पहले
ही मुरझा जायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
चुपके
से उपवन में आकर ,
गरम
गरम पंखुरी सहलाकर ,
शीतल
पवन धूप से जलते ,
फूलों
को जब दुलरायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
निशि
भर कभी किसी निवास से ,
घर
के बिलकुल बहुत पास से ,
शहनाई
की मीठी मीठी ,
धुन
जब कानों में आयेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
पास
किसी तरु की डाली पर
अपनी
मस्ती में इठलाकर ,
मधुऋतु
में जब काली कोयल .
गीत
मगन होकर गायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
थकन
मिटाने को निज तन की ,
पीड़ा
पीकर के जीवन की ,
दो
पल जब निशि की छाया में ,
सारी
दुनियां सो जायेगी |
याद न तब भूली जायेगी |
स्वरचित
--- आलोक सिन्हा निवेदन ---- कुछ प्रियजनों की शिकायत
है कि उन्हें ई मेल से मेरी नई रचनाएँ नहीं मिल रही हैं | अगर आपको भी न मिल रही
हों तो कृपया मेरे सभी ब्लॉग ई मेल द्वारा दुबारा फॉलो करने की कृपा करें |
यशोदा जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद रचना साझा करने के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है। सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार धन्यवाद मीना जी
हटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंविभारती जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सुंदर और सार्थक रचना है। गीत के भाव गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। आपको ढेरों शुभकामनाएं और बधाई। सादर।
जवाब देंहटाएंवीरेंद्र जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद
हटाएंअति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंतनमय जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
ज्योति जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद |
हटाएंसुंदर शब्द संयोजन ... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसंध्या जी बहुत धन्यवाद आभार
हटाएंबहुत सुन्दर रचना,,
जवाब देंहटाएंमाधुलिका जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद
हटाएंबेहतरीन रचना ,प्रभावशाली गहरे भाव लिए हुए है, बधाई हो
जवाब देंहटाएंज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंमन को छूते भाव।
सादर नमस्कार सर।
बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुंदर टिप्पणी के लिए
जवाब देंहटाएं