शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

याद न तब भूली जायेगी

 

            गीत

   याद न तब भूली जायेगी

       रवि का रथ ओझल होने पर ,

       सांझ अनमनी सुधियाँ लेकर                                                   बैठी विकल चकोरी कोई ,        

       तारों से मन बहलायेगी |                                                                                                    

           याद न तब भूली जायेगी | 

       मुस्काकर दो पल आंगन में ,

       मौन दुपहरी के दामन् में ,

       कोई कलिका जब खिलने से -

       पहले ही मुरझा जायेगी |

              याद न तब भूली जायेगी |

       चुपके से उपवन  में आकर ,

       गरम गरम पंखुरी सहलाकर , 

       शीतल पवन धूप से जलते  ,

       फूलों को जब दुलरायेगी  |

           याद न तब भूली जायेगी | 

      निशि भर कभी किसी निवास से ,

       घर के बिलकुल बहुत पास से ,

       शहनाई की मीठी मीठी ,

       धुन जब कानों में आयेगी |

            याद न तब भूली जायेगी |

       पास किसी तरु की डाली पर

       अपनी मस्ती में इठलाकर ,

       मधुऋतु में जब काली कोयल .

       गीत मगन होकर गायेगी |

            याद न तब भूली जायेगी | 

       थकन मिटाने को निज तन की ,

       पीड़ा पीकर के जीवन की ,

       दो पल जब निशि की छाया में ,

       सारी दुनियां सो जायेगी |

           याद न तब भूली जायेगी | 

स्वरचित ---  आलोक सिन्हा                                                    निवेदन ---- कुछ प्रियजनों की शिकायत है कि उन्हें ई मेल से मेरी नई रचनाएँ नहीं मिल रही हैं | अगर आपको भी न मिल रही हों तो कृपया मेरे सभी ब्लॉग ई मेल द्वारा दुबारा फॉलो करने की कृपा करें |

 

19 टिप्‍पणियां:

  1. यशोदा जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद रचना साझा करने के लिए |

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  2. बहुत सुंदर रचना है। सादर प्रणाम।

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  3. विभारती जी बहुत बहुत आभार धन्यवाद

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  4. बड़ी ही सुंदर और सार्थक रचना है। गीत के भाव गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। आपको ढेरों शुभकामनाएं और बधाई। सादर।

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  5. तनमय जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  6. बेहतरीन रचना ,प्रभावशाली गहरे भाव लिए हुए है, बधाई हो

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  7. ज्योति जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  8. बहुत ही सुंदर सृजन।
    मन को छूते भाव।
    सादर नमस्कार सर।

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  9. बहुत बहुत धन्यवाद आभार सुंदर टिप्पणी के लिए

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