मेरी पलकें मत छुओ
मेरी पलकें मत छुओ तुम्हारा आंचल गीला हो जायेगा ।
मेरी पलकों में सावन है ,
तनिक तपें तो बरसें बादल ।
रिमझिम से गीला हो जाता ,
अंखियों की कोरों का काजल ।
मेरे आंसू मत छुओ तुम्हारा कर कजरीला हो जायेगा ।
जाने कितनी पीर भरी है ,
मन कि वीणा के तारों में ।
जो भी गाये मन भर आये,
आकुल - व्याकुल झंकारों में
मेरे गीत न गाओ तुम्हारा स्वर दर्दीला हो जायेगा ।
कितना समझाया इस मन को ,
पर इसने ऐसी हठ ठानी ।
जीवन सौंप दिया माटी को ,
श्वासें तक हो गईं विरानी ।
मेरी श्वासें मत छुओ तुम्हारा ह्रदय हठीला हो जायेगा ।
आलोक सिन्हा
मेरे गीत न गाओ
जवाब देंहटाएंतुम्हारा स्वर
दर्दीला हो जायेगा
सुंदर
सादर
यशोदा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंहृदय को छूती हुई अभिव्यक्ति 👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार विभा जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना, बधाई
जवाब देंहटाएंशबनम की बहुत बहुत धन्यवाद आभार
जवाब देंहटाएंकोमल भाव भरी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार अनीता जी
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार धन्यवाद मनोज जी
जवाब देंहटाएंहृदय को छूती हुई अभिव्यक्ति🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार विभा जी
हटाएंभावपूर्ण सुन्दर सार्थक मर्मस्पर्शी रचना आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार धन्यवाद अभिलाषा जी
जवाब देंहटाएंमेरी श्वासें मत छुओ तुम्हारा ह्रदय हठीला हो जायेगा । ....शानदार लिखा आलोक जी... पूरी रचना को पढ़ कर मुझे गोपालदास 'नीरज' की कविता याद आ गई...
जवाब देंहटाएंपर न तड़पना, पर न बिलखना, पर न आँख भर लाना तुम! तुम्हें तड़पता देख विरह शुक और हठीला हो जाएगा.
बहुत बहुत आभार धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना,दिल को छूती हुई, आदरणीय शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार मधुलिका जी
हटाएंह्रदय की गहराइयों में उतर आंदोलित करती रचना........ साधुवाद
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आभार गगन शर्मा जी
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