रविवार, 26 मई 2024

मेरी पलकें मत छुओ

 मेरी पलकें मत छुओ

मेरी पलकें मत छुओ तुम्हारा आंचल गीला हो जायेगा ।

                 मेरी पलकों में सावन है ,                               

                तनिक तपें तो बरसें बादल ।

                रिमझिम से गीला हो जाता ,

              अंखियों की कोरों का काजल ।

मेरे आंसू मत छुओ तुम्हारा कर कजरीला हो जायेगा ।

                 जाने कितनी पीर भरी है ,

                मन कि वीणा के तारों में ।

                जो भी गाये  मन भर आये,

             आकुल - व्याकुल झंकारों में 

मेरे गीत न गाओ तुम्हारा स्वर दर्दीला हो जायेगा ।

              कितना समझाया इस मन को ,

              पर इसने ऐसी हठ ठानी ।

             जीवन सौंप दिया माटी को ,

              श्वासें तक हो गईं विरानी ।

मेरी श्वासें मत छुओ तुम्हारा ह्रदय हठीला हो जायेगा ।  

 आलोक  सिन्हा 


20 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे गीत न गाओ
    तुम्हारा स्वर
    दर्दीला हो जायेगा
    सुंदर
    सादर

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  2. यशोदा जी बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  3. हृदय को छूती हुई अभिव्यक्ति 👌

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद आभार विभा जी

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  5. शबनम की बहुत बहुत धन्यवाद आभार

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  6. बहुत बहुत धन्यवाद आभार अनीता जी

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  7. बहुत बहुत आभार धन्यवाद मनोज जी

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  8. हृदय को छूती हुई अभिव्यक्ति🌹🌹

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  9. भावपूर्ण सुन्दर सार्थक मर्मस्पर्शी रचना आदरणीय सादर

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  10. बहुत बहुत आभार धन्यवाद अभिलाषा जी

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  11. मेरी श्वासें मत छुओ तुम्हारा ह्रदय हठीला हो जायेगा । ....शानदार ल‍िखा आलोक जी... पूरी रचना को पढ़ कर मुझे गोपालदास 'नीरज' की कव‍िता याद आ गई...
    पर न तड़पना, पर न बिलखना, पर न आँख भर लाना तुम! तुम्हें तड़पता देख विरह शुक और हठीला हो जाएगा.

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  12. बहुत ही भावपूर्ण रचना,दिल को छूती हुई, आदरणीय शुभकामनाएँ

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  13. ह्रदय की गहराइयों में उतर आंदोलित करती रचना........ साधुवाद

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  14. बहुत बहुत धन्यवाद आभार गगन शर्मा जी

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